कोरोना पर चीन से ग्राउंड रिपोर्ट:दवाएं 100 गुना तक महंगी, लोग इलाज नहीं करा पा रहे, एक्टर की मां तक ने दम तोड़ा

चीन में कोरोना के केस बढ़ने से दवाओं की कमी हो गई है। अस्पतालों में भीड़ है और सड़कें खाली हैं। लोग सोशल मीडिया पर दवा न मिलने और कीमत से 200% तक महंगी मिलने की शिकायत करने लगे हैं। मशहूर हस्तियां भी अपनों का इलाज नहीं करा पा रही हैं।

चीन के टीवी एक्टर वांग जिनसोंग ने बुधवार शाम को एक मैसेज में लिखा है, ‘कोरोना की वजह से उन्होंने अपनी मां को खो दिया है। पिता को भी चार दिन से तेज बुखार था। दवाएं नहीं मिल रहीं, मैं बहुत मायूस हूं। यह दिन का वह वक्त है जब मैं अपनी मां के साथ वीडियो चैट करता हूं। अब वह वीडियो कॉल कभी कनेक्ट नहीं होगी।’

चीन में अपने सोर्सेस से वहां के शहरों के हालात पर बात की। इनमें यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर और रिसर्च स्कॉलर शामिल हैं। उन्होंने वहां के हालात को लेकर बहुत सी बातें बताईं। लेकिन नाम न देने की ताकीद भी की।

हर दिन 10 लाख से ज्यादा केस, हॉस्पिटल मरीजों से भरे
लंदन की ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस कंपनी एयरफिनिटी के मुताबिक, चीन में हर रोज कोरोना के 10 लाख केस मिल रहे हैं। सोर्सेज के मुताबिक, हुबेई, चेंदू और बीजिंग के हॉस्पिटल मरीजों से भर गए हैं। लोग लंबी लाइनों में खड़े हैं। कई शहरों में दवाओं की कमी हो चुकी है। बुखार में काम आने वाली इबुप्रोफेन और लियानहुआ क्विंगवेन जैसी दवाएं हैं ही नहीं। कई हॉस्पिटल महंगी दवाएं नहीं रखते, इससे लोगों को इलाज नहीं मिल रहा।

एक युआन में मिलने वाले इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन के लिए लोग 10 से 100 गुना तक ज्यादा कीमत चुका रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें वक्त पर इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। महंगी दवाओं की वजह से कई लोग इलाज नहीं करवा पा रहे हैं।

सोर्सेज ने बताया कि बुखार कम करने के लिए इस्तेमाल होने वाली इबुप्रोफेन की एक गोली के लिए लोगों को 50 युआन तक देने पड़ रहे हैं। एक युआन में मिलने वाला इंजेक्शन 100 गुना ज्यादा कीमत पर मिल रहा है।

कोरोना से हालात बिगड़ने के बावजूद चीनी सरकार ने एयर ट्रैवल पर कोई गाइडलाइंस जारी नहीं की हैं। कोई पाबंदी न होने से चीन के लोग जापान, ताइवान, थाईलैंड, यूरोपीय देश और अमेरिका जा रहे हैं। 2019 में कोरोना की शुरुआत में भी यही हुआ था। लोग चीन से दूसरे देशों में गए और वहां संक्रमण के मामले मिलने लगे। एयर ट्रैवल पर वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने भी गाइडलाइंस जारी नहीं की हैं। WHO इस बार सिर्फ लोगों से अपील कर रहा है कि वे ट्रैवल करने से बचें।

लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे अनुभव
एक्टर वांग जिनसॉन्ग के साथ भी यही हुआ। सामान्य लोगों के मुकाबले बेहतर स्थिति में होने के बावजूद उनकी मां को दवाएं नहीं मिल पाईं। कई जगह जरूरी दवाओं की कीमत 200% से ज्यादा बढ़ गई है। लोग अपने मरीज का बुखार कम करने के लिए इबुप्रोफेन की एक गोली देने के लिए 50 युआन तक दे रहे हैं।

लोग दवाएं न मिलने की वजह से सोशल मीडिया पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। वे अपनी कहानियां भी शेयर कर रहे हैं। एक यूजर ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि लॉकडाउन की वजह से वो काम पर नहीं जा सकते। अगर काम पर नहीं जाएंगे तो उन्हें पैसे नहीं मिलेंगे और वे दवा नहीं खरीद सकते।

कई सोशल मीडिया यूजर्स ने यह भी कहा है कि सरकार उन लोगों को अरेस्ट क्यों नहीं करती है, जो दवाएं महंगे में बेच रहे हैं? एक और यूजर ने लिखा है कि मैं एक महीने में जितना कमाता हूं, वह इलाज और दवा पर खर्च करने के बराबर नहीं है। हर कोई मौत से डरता है। ये बीमारी बहुत दर्दनाक है और दवाएं समस्या। हमारे गांव के ज्यादातर लोग जान बचाने वाली दवाएं जैसे इबुप्रोफेन और लियानहुआ किंगवेन नहीं खरीद सकते।

सर्वे में दावा- आधे मरीज दिसंबर में संक्रमित हुए
वनट्यूब डेली के सर्वे के मुताबिक, पाबंदियां हटाए जाने के बाद चीन के ज्यादातर रीजन में कोविड इन्फेक्शन अचानक बढ़ा है। ये सर्वे 517 लोगों पर किया गया। इनमें 73% मेल थे। इनमें 35% की उम्र 31 से 50 साल के बीच है। सर्वे में शामिल 50.3% लोग संक्रमित मिले। इनमें से 49.4% को दिसंबर में संक्रमण हुआ है।

चीन में कोरोना के रोजाना 10 लाख केस, जनवरी तक 37 लाख होने की आशंका
लंदन की ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस कंपनी एयरफिनिटी के मुताबिक, अभी चीन में रोजाना 10 लाख कोरोना केस सामने आ रहे हैं। 24 घंटे में 5 हजार मौतें हो रही हैं। यही रफ्तार रही तो जनवरी में डेली केस बढ़कर 37 लाख पर पहुंच जाएंगे। मार्च में यह आंकड़ा 42 लाख हो सकता है।

इसके पहले एयरफिनिटी ने अपने अनुमान में बताया था कि चीन में जीरो कोविड पॉलिसी खत्म होने के बाद 21 लाख मौतें हो सकती हैं। हालांकि, सरकार की ओर से जारी ऑफिशियल डेटा में गुरुवार को महज 4 हजार नए मामले बताए गए।

अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा 10 करोड़ पार
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी की शुरुआत से अब तक अमेरिका में कोरोना संक्रमितों की संख्या 10 करोड़ पार कर गई है। यहां कोरोना के 70% मामलों के लिए ओमिक्रॉन के नए सब-वैरिएंट्स को ही अहम वजह माना जा रहा है।

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